ध्यान के कमल : ओशो

ध्यान साधना शिविर, पूना में ध्यान-प्रयोगों एवं प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए दस अमृत प्रवचनों का अपूर्व संकलन
प्रस्तुयत पुस्तेक के प्रवचनों के माध्य्म से हम ध्या न की जिस भावदशा में प्रविष्टत हो सकते हैं उसकी पूर्व तैयारी के लिए ओशो हमें ध्यातन के कुछ ऐसे प्रयोगों में उतारते हैं जिन्हेंह करने के पश्चा त हम विश्रांति की झील बन जाते हैं और प्रतीक्षा करते हैं चेतना
                                                        


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प्रश्न: सांझ आप कहते हैं कि इंद्रियों की पकड़ में जो नहीं आता वही अविनाशी है। और सुबह कहते हैं कि चारों तरफ वही हैउसका स्पर्श करेंउसे सुनें। क्या इन दोनों बातों में विरोधकंट्राडिक्शन नहीं है?

इंद्रियों की पकड़ में जो नहीं आता वही अविनाशी है। और जब मैं कहता हूं सुबह आपसे कि उसका स्पर्श करेंतो मेरा अर्थ यह नहीं है कि इंद्रियों से स्पर्श करें। इंद्रियों से तो जिसका स्पर्श होगा वह विनाशी ही होगा। लेकिन एक और भी गहरा स्पर्श है जो इंद्रियों से नहीं होताअंतःकरण से होता है। और जब मैं कहता हूंउसे सुनेंया मैं कहता हूंउसे देखेंतो वह देखना और सुनना इंद्रियों की बात नहीं है। ऐसा भी सुनना है जो इंद्रियों के बिना भीतर ही होता है। और ऐसा भी देखना है जो आंखों के बिना भीतर ही होता है। उस भीतर सुनने-देखने और स्पर्श करने की ही बात है।....................................................................................


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