ध्यान सूत्र:ओशो 




                    प्यास और संकल्प|| ध्यान सूत्र|| ओशो 



बसे पहले तो आपका स्वागत करूं--इसलिए कि परमात्मा में आपकी उत्सुकता है--इसलिए कि सामान्य जीवन के ऊपर एक साधक के जीवन में प्रवेश करने की आकांक्षा है--इसलिए कि संसार के अतिरिक्त सत्य को पाने की प्यास है।
सौभाग्य है उन लोगों काजो सत्य के लिए प्यासे हो सकें। बहुत लोग पैदा होते हैंबहुत कम लोग सत्य के लिए प्यासे हो पाते हैं। सत्य का मिलना तो बहुत बड़ा सौभाग्य है। सत्य की प्यास होना भी उतना ही बड़ा सौभाग्य है। सत्य न भी मिलेतो कोई हर्ज नहींलेकिन सत्य की प्यास ही पैदा न होतो बहुत बड़ा हर्ज है।
सत्य यदि न मिलेतो मैंने कहाकोई हर्ज नहीं है। हमने चाहा था और हमने प्रयास किया थाहम श्रम किए थे और हमने आकांक्षा की थीहमने संकल्प बांधा था और हमने जो हमसे बन सकता थावह किया था। और यदि सत्य न मिलेतो कोई हर्ज नहींलेकिन सत्य की प्यास ही हममें पैदा न होतो जीवन बहुत दुर्भाग्य से भर जाता है।
और मैं आपको यह भी कहूं कि सत्य को पा लेना उतना महत्वपूर्ण नहीं हैजितना सत्य के लिए ठीक अर्थों में प्यासे हो जाना है। वह भी एक आनंद है। जो क्षुद्र के लिए प्यासा होता हैवह क्षुद्र को पाकर भी आनंद उपलब्ध नहीं करता। और जो विराट के लिए प्यासा होता हैवह उसे न भी पा सकेतो भी आनंद से भर जाता है।
इसे पुनः दोहराऊं--जो क्षुद्र के लिए आकांक्षा करेवह अगर क्षुद्र को पा भी लेतो भी उसे कोई शांति और आनंद उपलब्ध नहीं होता है। और जो विराट की अभीप्सा से भर जाएवह अगर विराट को उपलब्ध न भी हो सकेतो भी उसका जीवन आनंद से भर जाता है। जिन अर्थों में हम श्रेष्ठ की कामना करने लगते हैंउन्हीं अर्थों में हमारे भीतर कोई श्रेष्ठ पैदा होने लगता है।
कोई परमात्मा या कोई सत्य हमारे बाहर हमें उपलब्ध नहीं होगाउसके बीज हमारे भीतर हैं और वे विकसित होंगे। लेकिन वे तभी विकसित होंगे जब प्यास की आग और प्यास की तपिश और प्यास की गर्मी हम पैदा कर सकें। मैं जितनी श्रेष्ठ की आकांक्षा करता हूंउतना ही मेरे मन के भीतर छिपे हुए वे बीजजो विराट और श्रेष्ठ बन सकते हैंवे कंपित होने लगते हैं और उनमें अंकुर आने की संभावना पैदा हो जाती है।
जब आपके भीतर कभी यह खयाल भी पैदा हो कि परमात्मा को पाना हैजब कभी यह खयाल भी पैदा हो कि शांति को और सत्य को उपलब्ध करना हैतो इस बात को स्मरण रखना कि आपके भीतर कोई बीज अंकुर होने को उत्सुक हो गया है। इस बात को स्मरण रखना कि आपके भीतर कोई दबी हुई आकांक्षा जाग रही है। इस बात को स्मरण रखना कि कुछ महत्वपूर्ण आंदोलन आ..................................................


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